जुबान की कीमत
हर इक ज़बान को यारो सलाम करते चलो, गिरोह की है न फ़िरक़े की और न मज़हब की. नाज़िश प्रतापगढ़ी
जुबान पे उल्फत के अफसाने नहीं आते, जो बीत गए फिर से वो फसाने नहीं आते, यार ही होते हैं यारो के हमदर्द, कोई फ़रिश्ते यहाँ साथ निभाने नहीं आते.
बहुत खूब है यूँ आपका शब्दों में मुझे लिखना,वरना तो सबने मुझे सदा बेजुबां ही माना है।
बेहतरीन इंसान अपनी मीठी जुबान से ही जाना जाता है, वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती है.
आंसू मेरे देखकर तू परेशान क्यों है ऐ दोस्त, ये वो अल्फाज हैं जो जुबान तक आ न सके।
दिल की जुबान शायरी
तेरी ज़ुबान ने कुछ कहा तो नहीं था, फिर ना जाने क्यों मेरी आँख नम हो गयी.
इंसान एक दुकान है, और जुबान उसका ताला, ताला खुलता है तभी मालूम होता है कि, दुकान सोने की है या कोयले की.
अगर चराग़ की लौ पर ज़बान रख देता, ज़बान जलती भी कब तक चराग़ जलने तक. सालेह नदीम
जहरीली जुबान शायरी
इश्क ऐसी जुबान है प्यारे, जिसे गूंगा भी बोल सकता है.
जुबान कड़वी ही सही मगर दिल साफ़ रखता हूँ, कौन कब बदल गया सब हिसाब रखता हूँ.
नाम उसका ज़ुबान पर आते आते रुक जाता है, जब कोई मुझसे मेरी आखिरी ख्वाहिश पूछता है.
मीठी शायरी
आजकल कहाँ जरुरत है हाथों में पत्थर उठाने की, तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड़ देते हैं.
लम्बा धागा और लम्बी जुबान, केवल समस्यायें ही देती हैं, इसीलिए धागे को लपेटकर और, जुबान जो समेटकर रखना चाहिए.
लफ़्ज़ों की दहलीज पर घायल जुबान है, कोई तन्हाई से तो कोई महफ़िल से परेशान है.
खुद्दारी स्टेटस इन हिंदी
रिश्तो के बजार में आजकल वो लोग हमेशा अकेले पाये जाते हैं साहब, जो दिल और जुबान के सच्चे होते हैं.
तेरी ज़ुबान ने कुछ कहा तो नहीं था, फिर ना जाने क्यों मेरी आँख नम हो गयी।
जुबान का वजन बहुत कम होता है, पर बहुत कम लोग इसे सम्हाल पाते है.
इंसानियत पर शायरी
नाम उसका ज़ुबान पर आते आते रुक जाता है, जब कोई मुझसे मेरी आखिरी ख्वाहिश पूछता है।
था जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भर, कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेज़ुबानी ही तो है।