गरीबी पर शायरी हिंदी में
यहाँ गरीब को मरने की जल्दी यूँ भी है, कि कहीं कफ़न महंगा ना हो जाए।
जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए, यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता।
वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं, आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं।
गरीब परिवार पर शायरी
सुला दिया माँ ने भूखे बच्चे को ये कहकर, परियां आएंगी सपनों में रोटियां लेकर।
कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची हम गरीबों ने बेकसी बेची, चंद सांसे खरीदने के लिए रोज थोड़ी सी जिन्दगी बेची
जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए, यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता
उन घरों में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं, क़द में छोटे हों मगर लोग बड़े रहते हैं।
अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी, जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है।
गरीबी और भुखमरी पर शायरी
जरा सी आहट पर जाग जाता है वो रातो को, ऐ खुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाज़ा भी दे।
मजबूरियाँ हावी हो जाएँ ये जरूरी तो नहीं, थोडे़ बहुत शौक तो गरीबी भी रखती है।
तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है, दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है।
सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से, महलों की आरज़ू ये है कि बरसात तेज हो।
मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरों के इलाज खातिर
गरीबी पर अनमोल वचन
वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं, आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं
कैसे मोहब्बत करूं बहुत गरीब हूँ साहब, लोग बिकते हैं और मैं खरीद नहीं पाता।
गरीबी पर शायरी मराठी
ये गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहब, वरना गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं
रुखी रोटी को भी बाँट कर खाते हुये देखा मैंने, सड़क किनारे वो भिखारी शहंशाह निकला।
यूँ न झाँका करो किसी गरीब के दिल में, वहाँ हसरतें बेलिबास रहा करती हैं।
मदद पर शायरी
भटकती है हवस दिन-रात सोने की दुकानों पर, गरीबी कान छिदवाती है तिनके डाल देती है।
चेहरा बता रहा था कि मारा है भूख ने, सब लोग कह रहे थे कि कुछ खा के मर गया।