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क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ,
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है।
मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की जरा आँख लगे,
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके।
पत्थर की दुनिया जज़्बात नहीं समझती,
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती,
तनहा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती।
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है,
उसपे शबाब का रंग गहरा है,
खुदा को यकीन न था वफ़ा पे,
तभी चाँद पे तारों का पहरा है।
तू चाँद और मैं सितारा होता, आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते,नज़दीक़ से देखने का, हक़ बस हमारा होता..!!
ऐ काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए,
एक चाँद फ़लक पर निकला हो एक छत पर आ जाए।
आज टूटेगा गुरूर चाँद का तुम देखना यारो,
आज मैंने उन्हें छत पर बुला रखा है।
आसमान और ज़मीं का है फासला हर-चंद,
ऐ सनम दूर ही से चाँद सा मुखड़ा दिखला।
चाँद भी हैरान… दरिया भी परेशानी में है,
अक्स किस का है ये इतनी रौशनी पानी में है।
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है,
उसपे शबाब का रंग गहरा है,
खुदा को यकीन न था वफ़ा पे,
तभी चाँद पे तारों का पहरा है।
बेसबब मुस्कुरा रहा है चाँद
कोई साजिश छुपा रहा है चाँद
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा,
तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से ही मैं।
तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैंने,
चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ।
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एक अदा आपकी दिल चुराने की,
एक अदा आपकी दिल में बस जाने की,
चेहरा आपका चाँद सा और एक…
हसरत हमारी उस चाँद को पाने की।
उसके चेहरे की चमक के सामने सादा लगा,
आसमाँ पर चाँद पूरा था… मगर आधा लगा।
तू अपनी निगाहों से न देख खुद को,
चमकता हीरा भी तुझे पत्थर लगेगा,
सब कहते होंगे चाँद का टुकड़ा है तू,
मेरी नजर से चाँद तेरा टुकड़ा लगेगा।
चाँद में नज़र कैसे आए तेरी सूरत मुझको,
आँधियों से आसमाँ का रंग मैला हो गया।
मेरा और चाँद का मुक़द्दर एक जैसा है,
वो तारो में अकेला मैं हजारो में अकेला।
दिन में चैन नहीं ना होश है रात में
खो गया है चाँद भी देखो बादल के आगोश में
क्यों मेरी तरह रातों को रहता है परेशान,
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है।
रात भर आसमां में हम चाँद ढूढ़ते रहे,
चाँद चुपके से मेरे आँगन में उतर आया।
इक अदा आपकी दिल चुराने की,
इक अदा आपकी दिल में बस जाने की,
चेहरा आपका चाँद सा और एक
हसरत हमारी उस चाँद को पाने की।
पत्थर की दुनिया जज़्बात नहीं समझती,
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती,
तनहा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती।
मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की जरा आँख लगे,
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके।
चलो चाँद का किरदार अपना लें हम,
दाग अपने पास रखें और रौशनी बाँट दें।
ऐ चाँद मुझे बता तू मेरा क्या लगता है,
क्यूँ मेरे साथ सारी रात जगा करता है,
मैं तो बन बैठा हूँ दीवाना उनके प्यार में,
क्या तू भी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है।
क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ,
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है।
कल चौदहवी की रात थी रात भर रहा चर्चा तेरा,
कुछ ने कहा ये चाँद है, कुछ ने कहा चेहरा तेरा।
ढूँढता हूँ मैं जब अपनी ही खामोशी को,
मुझे कुछ काम नहीं दुनिया की बातों से,
आसमाँ दे न सका चाँद अपने दामन का,
माँगती रह गई धरती कई रातों से।
तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैं,
चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ।
न चाहते हुए भी मेरे लब पर
ये फरियाद आ जाती है,
ऐ चाँद सामने न आ
सनम की याद आ जाती है।
मुझे ये ज़िद है कभी चाँद को असीर करूँ,
सो अब के दरिया में एक दाएरा बनाना है।
कभी तो आसमान से चाँद उतरे जाम हो जाए,
तुम्हारे नाम की एक ख़ूबसूरत शाम हो जाए।
पूछो इस चाँद से कैसे सिसकते थे हम,
उन तन्हा रातों में तकिये से लिपटकर रोते थे हम,
तूने तो देखा नही छोड़ने के बाद,
दिल का हर एक राज़ चाँद से कहते थे हम।
सुबह हुई कि… छेड़ने लगता है सूरज मुझको,
कहता है बड़ा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो।
आज टूटेगा गुरूर चाँद का देखना दोस्तो,
आज मैंने उन्हें छत पर बुला रखा है।
इश्क तेरी इन्तेहाँ इश्क मेरी इन्तेहाँ,
तू भी अभी न-तमाम मैं भी अभी न-तमाम।
रात को रोज़ डूब जाता है…
चाँद को तैरना सिखाना है मुझे।
सारी रात गुजारी हमने इसी इन्तजार में की,
अब तो चाँद निकलेगा आधी रात में…
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वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या हुआ,
अभी मैं ने देखा है चाँद भी किसी शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ !
जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात
उन आँखों में आंसू का इक कतरा होगा चाँद।
ना चाँद चाहिए ना फलक चाहिए
मुझे बस तेरी की एक झलक चाहिए
सुबह हुई कि छेडने लगता है सूरज मुझको,
कहता है बडा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो।
रात में एक टूटता तारा देखा बिलकुल मेरे जैसा था…
चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा बिलकुल तेरे जैसा था !
चाँद को तो चाहने वाले है सभी,
पर देखना ये है की चाँद किस पर फ़िदा होता है.
चाँद तो अपनी चाँदनी को ही निहारता है
उसे कहाँ खबर कोई चकोर प्यासा रह जाता है
चलो चाँद का किरदार अपना लें हम दोस्तो,
दाग अपने पास रखें और रौशनी बाँट दें।
चाँद हो या न हो, चांदनी रात है,
मैं तेरे साथ,तू मेरे साथ है !
ख्वाबो की बातें वो जाने जिनका नींद से रिश्ता हो,
मैं तो रात गुजारती हुँ चाँद को देखने में…
ऐ चाँद चला जा क्यों आया है तू मेरी चौखट पर,
छोड़ गया वो शख्स जिसके धोखे में तुझे देखते थे।
तुम सुबह का चाँद बन जाओ, मैं सांझ का सूरज हो जाऊँ!
मिलें हम-तुम यूँ भी कभी, तुम मैं हो जाओ…मैं तुम हो जाऊँ…
ना जाने किस रैन बसेरो की तलाश है इस चाँद को…..।।
रात भर बिना कम्बल भटकता रहता है इन सर्द रातो में….।।
बुझ गये ग़म की हवा से, प्यार के जलते चराग,
बेवफ़ाई चाँद ने की, पड़ गया इसमें भी दाग…
तस्वीर बना कर तेरी आस्मां पे टांग आया हूँ ,
और लोग पूछते हैं आज चाँद इतना बेदाग़ कैसे है
रातों में टूटी छतों से टपकता है चाँद…
बारिशों सी हरकतें भी करता है चाँद
इजाजत हो तो मैं भी तुम्हारे पास आ जाऊँ,
देखों ना चाँद के पास भी तो एक सितारा है..
मेरा और उस चाँद का मुक़द्दर एक जैसा है,
वो तारो में तन्हा मैं हजारो में तन्हा।
ये दिन हैं जब.. चाँद को देखे.. मुद्दत बीती जाती है,
वो दिन थे जब चाँद हमारी छत पे आया करता था.
है चाँद सितारों में चमक तेरे प्यार की
हर फूल से आती है महक तेरे प्यार की
चाँद मत मांग मेरे चाँद जमीं पर रहकर,
खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर.
हमने क़सम खायी है चाँद को चाँद रहने देंगे ..
चाँद में अब तुम को ना ढूँढा करेंगे ..
चाँद तारो में नज़र आये चेहरा आपका
जब से मेरे दिल पे हुआ है पहरा आपका
वैसे तो कई दोस्त है हमारे जैसे आसमान में है कई तारे
पर आप दोस्ती के आसमान के वो चाँद है जिसके सामने फीके पड़ते हैं सारे सितारे.