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बेवफा शायरी | Bewafa Shayari in Hindi

Bewafa Shayari in Hindi

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अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं
दिल भी गुस्ताख हो चला था बहुत,
शुक्र है की यार ही बेवफा निकला।
न कोई मज़बूरी है न तो लाचारी है,
बेवफाई उसकी पैदायशी बीमारी है।
तुझे है मशक-ए-सितम का मलाल वैसे ही,
हमारी जान थी, जान पर वबाल वैसे ही।
चला था ज़िकर ज़माने की बेवफाई का,
सो आ गया है तुम्हारा ख्याल वैसे ही।
मेरी आँखों से बहने वाला ये आवारा सा आसूँ
पूछ रहा है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह।
मेरी मोहब्बत सच्ची है इसलिए तेरी याद आती है,
अगर तेरी बेवफाई सच्ची है तो अब याद मत आना।
वफा के बदले बेवफाई ना दिया कर,
मेरी उमीद ठुकरा कर इन्कार ना किया कर,
तेरी मौहब्बत में हम सब कुछ गवां बैठे,
जान चली जायेगी इम्तिहान ना लिया कर।
तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना,
तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना,
मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना,
मैं शौक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना।
चाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल
हौसला किस का बढ़ाता है कोई
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
दर्द ऐसा है कि जी चाहे है ज़िंदा रहिए
ज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
आप की याद आती रही रात भर
चश्म-ए-नम मुस्कुराती रही रात भर
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
आज देखा है तुझको देर के बाद
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं
आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो
नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
कुछ फैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए
पानी को अब तो सर से गुज़र जाना चाहिए
मेरे रोने की हक़ीक़त जिसमें थी
एक मुद्दत तक वो काग़ज़ नम रहा
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझे भूल के ज़िंदा रहूं ख़ुदा न करे
हम भी क्या ज़िन्दगी गुज़ार गए
दिल की बाज़ी लगा के हार गए
इस रास्ते के नाम लिखो एक शाम और
या इस में रौशनी का करो इंतिज़ाम और
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है तुमसे,
लेकिन इस बार बेवफाई हम करेंगे।

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काम आ सकीं ना अपनी वफ़ाएं तो क्या करें,
उस बेवफा को भूल ना जाएं तो क्या करें।
कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी,
कि तुझे अलविदा भी ना कह सका,
तेरी सादगी में इतना फरेब था,
कि तुझे बेवफा भी ना कह सका।
बेवफायी का मौसम भी
अब यहाँ आने लगा है,
वो फिर से किसी और को
देख कर मुस्कुराने लगा है।
रात की गहराई आँखों में उतर आई,
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई।
आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हुए,
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए,
करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो,
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा हुए।
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई
अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
नजर नजर से मिलेगी तो सर झुका लेगा,
वह बेवफा है मेरा इम्तिहान क्या लेगा,
उसे चिराग जलाने को मत कह देना,
वह नासमझ है कहीं उंगलियां जला लेगा।
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी।
जब तक न लगे एक बेवफाई की ठोकर,
हर किसी को अपने महबूब पे नाज़ होता है।
बेवफाओं की इस दुनियां में संभलकर चलना,
यहाँ मुहब्बत से भी बर्बाद कर देते हैं लोग।
किसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना,
मोहब्बत में यही लम्हा क़यामत की निशानी है।
उसकी बेवफाई पे भी फ़िदा होती है जान अपनी,
अगर उस में वफ़ा होती तो क्या होता खुदा जाने।
वो सुना रहे थे अपनी वफाओ के किस्से,
हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए।
चाहते हैं वो हर रोज़ नया चाहने वाला.
ऐ खुदा मुझे रोज़ इक नई सूरत दे दे।
रोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लग के वो,
ऐसा लगा कि जैसे कभी बेवफा न थे वो।
इलाही क्यूँ नहीं उठती क़यामत माजरा क्या है,
हमारे सामने पहलू में वो दुश्मन के बैठे हैं।
तुम अगर याद रखोगे तो इनायत होगी,
वरना हमको कहाँ तुम से शिकायत होगी,
ये तो वही बेवफ़ा लोगों की दुनिया है,
तुम अगर भूल भी जाओ जो रिवायत होगी।
अगले बरसों कि तरह होंगे करीने तेरे,
किसे मालुम नहीं बारह महीने तेरे।
इतनी मुश्किल भी ना थी
राह मेरी मोहब्बत की,
कुछ ज़माना खिलाफ हुआ
कुछ वो बेवफा हो गए।
मेरी वफा के क़ाबिल नही हो तुम,
प्यार मिले ऐसे इन्सान नही हो तुम,
दिल क्या तुम पर ऐतबार करेगा,
प्यार मे धोखा दिया ऐसे बेवफा हो तुम।