मेरी नजरों से पूछ तेरी आशिक़ी की हद क्या है, जरा करीब से देख इनमें तेरी तस्वीर की गहराई क्या है.
तमन्ना से नहीं तन्हाई से डरते है, पियार से नहीं रुसवाई से डरते है, मिलने की चाहत तो बहुत है मगर, मियन के बाद की जुदाई से डरते है.
अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना, गर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा.
कमाल की आशिकी है तेरी इन आँखों में, जब भी देखता हूँ डूबने को मन करता है.
जो फाँस चुभ रही है दिलों में वो तू निकाल, जो पाँव में चुभी थी उसे हम निकाल आए.
देके आवाज़ तो देखो अपने दीवाने को, हम तहे आक भी होंगे तो मचल जाएंगे.
न खबर होगी तुम्हे मेरी आशिकी की, सुना है सांसो की हद सिर्फ मौत होती है.
इतना करुगा मुहब्बत के तू खुद कहेगी, देख वो मेरा आशिक जा रहा है.
न आँखों से छलकते हैं, न कागज पर उतरते हैं, कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं जो बस भीतर ही पलते हैं.
ज़रूरी तो नहीं के शायरी वो ही करे जो इश्क में हो, ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल दिया करती है.
मैने ईश्क करने का मिजाज बदल दिया है, अब तो बस तन्हाईयों से आशिकी करते हैं.
प्यार वो जख्म है जो कभी भरता नही, ये वो सफर है जो मर के भी ख़त्म होता नही.
केवल दो ही चीजें पसंद हैं मुझे मेरी आशिकी में, एक तू और दूसरा तेरा साथ.
तुम सा कोई दूसरा जमीन पर हुआ, तो रब से शिकायत होगी.
जमाने में तन्हाई का आलम तो देखिए, हम खुद ही ताकते है ले लेकर सेल्फियाँ.
आशिकी की किताब का एक उसूल बताते हैं, मुड़ कर देखा तो इश्क़ माना जाएगा.
झुकाया तुने झुके हम बराबरी ना रही, ये बन्दगी हुई ऐ दोस्त आशिकी ना हुई.
कारवाँ -ए -ज़िन्दगी हसरतो के सिवा कुछ भी नहीं, ये किया नहीं, वो हुआ नहीं ये मिला नहीं, वो रहा नहीं.
तूने बदल दिया मिज़ाज़ ऐ इश्क़ हमारा, अब तो बस तन्हाईओं से आशिकी करते है.
चमकते चाँद से चेहरों के दीदार से दिल पिघल गए, ख़ुदा हाफ़िज़ कहके बस यूँ ही घर से निकल आए.
जन्नत-ए-इश्क मैं हर बात अजीब होती है, किसी को आशिकी तो किसी को शायरी नसीब होती है.
मैं गर नाम न भी लूं उनका, फिर भी लोग पहचानें कि उनका तारुख़ हवा बहार खुद है.
हमें देख कर जब उन्होने मुँह मोड लिया, एक तसल्ली सी हो गयी की चलो, पहचानते तो है.
वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर, जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर.
काश कोई पैमाना होता मोहब्बत मापने का, तो हम शान से आते तेरे सामने सबूत के साथ.
मरना नहीं जीना है, आशिक़ हूँ आशिकी की है, तेरी यादों का आंसू अभी पीना है.
हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर, ग़ालिब ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे.
मिल जायेंगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला, अब सारा शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता.
न आँखों से छलकते हैं, न कागज पर उतरते हैं, कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं जो बस भीतर ही पलते हैं.
आंखें जो उठाए तो मोहब्बत का जूनून हो, नज़रों गर झुकाए तो शिकायत सी लगती है.
मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है, ज़रूरी नहीं के वो बेवफा होता है, दे कर आपकी आँखों में आंसू, अकेले में आपसे भी ज्यादा रोता है.
जो मोहब्बत तुम्हारे दिल में है, उसे जुबां पर लाओ और बयां कर दो, आज बस तुम कहो और कहते ही जाओ, हम बस सुनें ऐसे बेज़ुबान कर दो.
एहसास की नमी बेहद जरुरी है हर रिश्ते में, वरना रेत भी सूखी हो तो निकल जाती है हाथों से.
इशारों में बात करनी थी, तो पहले बताते, हम शायरी को नही, आँखों को सजाते.
कितनी है आशिकी तुमसे ये कह नहीं पाते, बस इतना कह सकते हैं के तुम बिन रह नहीं पाते.
तुम हमारे नहीं तो क्या गम है, हम तुम्हारे हैं यह क्या कम है.
वैसे तो आशिक़ों की ज़िन्दगी बहुत फीकी है, एक ही जान है मेरी, बस वही मीठी है.
किस्मत अपनी भगवान से लिखवा कर आए हैं, ऐसे ही नहीं ये आशिक़ तेरे नज़दीक आए हैं.
सुना है दुआओं की क़ीमत नहीं होती, फिर भी कारोबार इसका खूब चलता है.
न बोलो कुछ ज़ुबां से न गुफ्तगू करो, जानें तो जानें कैसे हाले दिल तुम्हारा.
सुन्दर चेहरे के लिए आशिक़ो की कमी नहीं, तलाश तो उसकी है जो दिल से प्यार करे.
हम ने एक असूल पे सारी उम्र गुज़ारी है, जिस को अपना जान लिया फिर उस को परखा नहीं.
प्रेम यक़ीन दिलाने का मोहताज नहीं होता, एक दिल धड़कता है तो दुजा समझता है.
खत तो बहुत लिखे आशिकी में उसके नाम, उसका पता होता तो उसे भी पता होता.
क्या करूं उसके आगे मैं अब, आशिक़ हूँ तेरा बेखबर है तू.
कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको, चलो ऐसा करो भूला दो मुझको, तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये, दिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको.
खत लिखें ग़रचे मतलब कुछ न हो, हम तो आशिक हैं तुम्हारे नाम के.
समुंदर बहा देने का जिगर तो रखते है लेकिन, हमें आशिकी की नुमाइश की आदत नहीं है दोस्त.
हद से गुजरने को बेकरार होती है, ये तेरी आशिक़ी मुझे इतना क्यों बेचैन करती है.
वक़्त के बदलने से दिल कहाँ बदलते हैं, आप से मोहब्बत थी आप से मोहब्बत है.
वक़्त के बदलने से इश्क़ कहाँ बदलता है, आप से प्यार था आप से ही प्यार है.
हम हमसफर ही नही रोनक ऐ महफिल भी है, मुद्दतों याद ऱखोगे जिन्दगी में कोई आया था.
तिलिस्म-ए-मोहब्बत है मेरी आशिक़ी का हाल, कभी उनको भी किस्सा सुनाने का मौका देंगे हम.
अभी तो चंद लफ़्ज़ों में समेटा है तुझे, अभी तो मेरी किताबों में तेरा सफ़र बाक़ी है.