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लाइफ शायरी हिंदी | Hindi Shayari On Life

लाइफ शायरी हिंदी
ज़िंदगी जिसका बड़ा
नाम सुना है हमने,
एक कमजोर सी हिचकी के सिवा
कुछ भी नहीं……..
एक अजीब सी दौड़ है ये जिंदगी,
अगर जीत जाओ तो अपने पीछे छूट जाते हैं,
और अगर हार जाओ तो?
अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं……..
न बदली वक्त की गर्दिश
न जमाना बदला,
जब सूख गई पेड़ की डाली तो
परिंदों ने ठिकाना बदला……..
जिंदगी में मीठा झूठ बोलने से अच्छा है,
कड़वा सच बोला जाए,
इससे आपको झूठे दोस्तों से अच्छा
सच्चे दुश्मन तो मिलेंगे……..
हर बात मानी है तेरी
सिर झुका कर ऐ ज़िंदगी,
हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ
मेरी. शर्तें मान कर …….
मंजिलें मुझे छोड़ गयी
रास्तों ने संभाल लिया,
जिंदगी तेरी जरूरत नहीं मुझे
हादसों ने पाल लिया……..
सिर्फ सांसे चलते रहने को ही
ज़िन्दगी नही कहते
आँखों में कुछ ख्वाब और दिल में
उम्मीदे होना जरूरी है……..
है अजीब शहर की
ज़िंदगी न सफर रहा न क़याम है
कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं
बदमिजाज़ सी शाम है……..
जिंदगी में बेशक
हर मौके का फायदा उठाओ
मगर किसी के हालात और
मजबूरी का नही……..
अगर जिंदगी में भरोसा खुद पर हो तो
ताकत बन जाती है,
और वही भरोसा दूसरो पर हो तो
कमज़ोरी बन जाती है……..
ज़िंदगी में कभी कभी
अपनो से हारना सीखो,
देख लेना जीत जाओंगे तुम……..
ज़िन्दगी हर पल ढलती है,
जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है,
शिकवे कितने भी हो किसी से,
फिर भी मुस्कराते रहना,
क्योंकि ये ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक ही बार मिलती है……..
रिश्तो के बाजार में रिश्तो को
कुछ इस तरह सजाया जाता है,
ऊपर से तो बहुत अच्छा दिखाया जाता है,
पर अंदर न जाने क्या क्या मिलाया जाता है……..
ज़िंदगी भी तवायफ की तरह होती है,
कभी मजबूरी में नाचती है कभी मशहूरी में……..
इक टूटी-सी ज़िंदगी को
समेटने की चाहत थी,
न खबर थी उन टुकड़ों को ही
बिखेर बैठेंगे हम……..
मेरी ज़िन्दगी तुम बन गई,
मुझे जीना सिखा दिया तुमने……..
वक़्त अच्छा ज़रूर आता है,
पर कभी वक़्त पर नहीं आता……..
इतनी बदसलूकी ना कर, ऐ ज़िंदगी,
हम कौन सा यहाँ बार-बार आने वाले हैं……..
नफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अब,
ज़िंदगी कहीं तो पहुँचा दे खत्म होने से पहले……..
जिंदगी में क्यों भरोसा करते हो गैरों पर,
जब चलना है अपने ही पैरों पर……..
मुझे ज़िंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं है दोस्तों,
पर लोग कहते हैं यहाँ सादगी से कटती नहीं……..
ज़रा मुस्कुराना भी सीखा दे ऐ ज़िंदगी
रोना तो पैदा होते ही सीख लिया था……..
मुझे ज़िन्दगी का
इतना तजुर्बा तो नही
पर सुना है सादगी में लोग
जीने नही देते……..
मौत का भी इलाज हो शायद
ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं……..
देखा है ज़िंदगी को
कुछ इतना करीब से,
चेहरे तमाम लगने लगे हैं
अब तो अजीब से……..
मत सोच इतना
ज़िन्दगी के बारे में
जिसने ज़िन्दगी दी है
उसने भी कुछ तो सोचा होगा……..
शतरंज‬ खेल रही है
मेरी ‪जिंदगी‬ कुछ इस तरह,
कभी तेरी मोहब्बत मात देती है
कभी मेरी ‪किस्मत‬……..
अजीब तरह से गुजर गयी
मेरी जिंदगी,
सोचा कुछ, किया कुछ,
हुआ कुछ, मिला कुछ……..
जो लम्हा साथ है
उसे जी भर के जी लेना,
ये कम्बख्त जिंदगी भरोसे के
काबिल नहीं है……..
मुझ से नाराज़ है तो
छोड़ दे तन्हा मुझको,
ऐ ज़िंदगी, मुझे रोज-रोज
तमाशा न बनाया कर……..
ज़िन्दगी में कभी किसी पर
भरोसा मत करो,
चलना है तो बस
अपने पैरों पर चला करो……..
जिंदगी में सबसे अच्छे बनो,
ज़िन्दगी में सबसे सच्चे बनो……..
ज़िन्दगी में ऐसे लोग भी होते है
जिन्हें हम पा नही सकते
सिर्फ चाह सकते है……..
इतनी ठोकरे देने के लिए
शुक्रिया ए ज़िन्दगी,
चलने का न सही सम्भलने का
हुनर तो आ गया……..
उस चिट्ठी की तरह है ज़िन्दगी,
जिसे बिना पता लिखें रवाना कर दिया……..
ले दे के अपने पास फ़क़त एक नजर तो है,
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नजर से हम……..
यूँ तो मरने के लिए
ज़हर सभी पीते हैं
ज़िंदगी तेरे लिए
ज़हर पिया है मैंने……..
आराम से तनहा कट रही थी तो अच्छी थी,
जिंदगी तू कहाँ दिल की बातों में आ गयी……..
एक उम्र गुस्ताखियों के लिये भी नसीब हो,
ये ज़िंदगी तो बस अदब में ही गुजर गई……..
यूँ तो ए ज़िन्दगी तेरे सफर से
शिकायते बहुत थी,
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुँचे तो
कतारे बहुत थी……..
थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ,
ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ,
कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकती यादें,
जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ……..
ज़िन्दगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर…
या फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है?
छोड़ ये बात कि मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझको,
ज़िंदगी इतना बता कितना सफर बाकी है……..
जब फैसला आसमान वाले का होता है,
तब कोई वकालत जमीन वाले की नही होती है……..
हर बात मानी है तेरी सिर झुका कर ऐ ज़िंदगी,
हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्तें मान मेरी……..
ज़िन्दगी से पूछिये ये क्या चाहती है,
बस एक आपकी वफ़ा चाहती है,
कितनी मासूम और नादान है ये,
खुद बेवफा है और वफ़ा चाहती है……..
ज़िन्दगी सुन तू यही पे रुकना
हम हालात बदल के आते है……..
हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली,
कुछ यादें मेरे संग पाँव पाँव चली,
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ,
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली……..
वही रंजिशें वही हसरतें,
न ही दर्द-ए-दिल में कमी हुई,
है अजीब सी मेरी ज़िन्दगी,
न गुज़र सकी न खत्म हुई……..
हर रोज गिर कर भी
मुकम्मल खड़े है
ऐ ज़िन्दगी देख,
मेरे होंसले तुझसे भी बड़े है……..
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है,
फिक्र है सबको खुद को
सही साबित करने की,
जैसे ये ज़िंदगी, ज़िंदगी नहीं,
कोई इल्जाम है……..
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये……..
अब समझ लेता हूँ
मीठे लफ़्ज़ों की कड़वाहट,
हो गया है ज़िंदगी का
तजुर्बा थोड़ा थोड़ा……..
कभी जो जिंदगी में थक जाओ, तो
किसी को कानो कान खबर भी न होने देना,
क्योंकि लोग टूटी हुई इमारतों की
ईंट तक उठा कर ले जाते हैं……..
जिंदगी में कभी भी अपने
हुनर पर घमण्ड मत करना ,
क्योंकि जब पत्थर पानी में गिरता है तो
अपने ही वजन में डूब जाता है……..
ज़िन्दगी कभी आसन नही होती
इसे आसान करना पड़ता है
कुछ नजर अंदाज करके
कुछ को बर्दास्त करके……..
कभी खोले तो कभी ज़ुल्फ़ को बिखराए है,
ज़िंदगी शाम है और शाम ढली जाए है……..
ये दुनिया प्यार की सिर्फ बातें करती हैं जनाब
चलती तो सिर्फ अपने मतलब से हैं……..
जो आपकी किस्मत में लिखा है
वो भाग कर आयेगा,
और जो किस्मत में नही लिखा है
वो आकर भी भाग जायेगा……..
पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं,
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं……..
ज़िन्दगी में सफलता वही पाता है,
जिसे मुश्किलों से लड़ना आता है,
और रूठो को मनाना आता है……..
किसी की मजबूरी का
कभी मज़ाक न बनाओ दोस्तों,
जिंदगी अगर मौका देती है, तो
वही जिंदगी धोखा भी देती है……..
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है,
सांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है,
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है,
जिंदगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है……..
पढ़ने वालों की कमी हो गयी है
आज इस ज़माने में…
वरना मेरी ज़िन्दगी का हर पन्ना,
पूरी किताब है……..
जिंदगी की हकीकत को
बस हमने इतना ही जाना है,
दर्द में अकेले हैं
और खुशियों में सारा जमाना है……..
ज्यादा नादान इंसान ही
जिंदगी का मज़ा ले सकता है,
वरना ज्यादा होशियार इंसान तो
अपनी जिंदगी में ही उलझा रहता है……..
सिर्फ सांसे चलते रहने को ही ज़िन्दगी नही कहते
आँखों में कुछ ख़वाब और दिल में उम्मीदे होना जरूरी है……..
ज़िन्दगी जीनी हैं तो
तकलीफें तो होंगी…
वरना मरने के बाद तो
जलने का भी एहसास नहीं होता……..
समंदर न सही पर एक नदी तो होनी चाहिए,
तेरे शहर में ज़िंदगी कहीं तो होनी चाहिए……..